Revolt by Nasiri battalion led by Bhim Singh (Revolt of 1857)
Revolt of 1857 : नसीरी बटालियन द्वारा विद्रोह
जतोग में तैनात “नसीरी बटालियन” (गोरखा रेजिमेंट) ने देशी सेना के सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्त्व में जतोग छावनी और खजाने पर कब्जा कर लिया। कसौली की नसीरी टुकड़ी के देशी सैनिकों ने 16 मई, 1857 ई. को विद्रोह कर कसौली की ब्रिटिश सेना पर धावा बोल दिया। अँग्रेज सैनिक कैप्टन ब्लैकॉल के साथ छावनी से भाग निकले। नसीरी टुकड़ों ने खजाने पर कब्जा कर जतोग की ओर बढ़ना शुरू किया।
सूबेदार भीम सिंह इस देशी सेना के नेता थे। सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्व में कसौली की क्रांतिकारी सेना ने जतोग की ओर बढ़ते हुए मार्ग में हरीपुर नामक स्थान पर जार्ज एनसन के टैंटों में आग लगाकर शस्त्र और सामान लूट लिया। नसीरी सेना के कसौली से जाने के बाद स्थानीय पुलिस गार्ड ने क्रांति की बागडोर अपने हाथ में ले ली।
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इसके नेता छावनी थाने के दरोगा बुद्धि सिंह बने। उसके नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने कसौली खजाने पर कब्जा किया और अँग्रेजों से लड़ने के लिए जतोग की ओर बढ़े। अँग्रेजों ने कुछ को पकड़ लिया, कुछ मुठभेड़ में मारे गए बुद्धि सिंह ने स्वय को गोली मार ली।
18 मई, 1857 ई. को ‘कैप्टन मोफट’, डगशाई से कैप्टन ब्रुक और सपाटू से कर्नल कांगरीब अपने-अपने सैनिक दस्तों के साथ कसौली की सुरक्षा को पहुँच गए। 24 मई, 1857 ई. को जतोग की क्रांतिकारी नसीरी सेना ने सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्व में बैठक का आयोजन कर कैप्टन डेविड ब्रिग्ज (हिन्दुस्तान तिब्बत सड़क के सुपरिटेन्डेन्ट) और डिप्टी कमिश्नर विलियम हे के प्रस्ताव पर विचार किया।
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दिल्ली, मेरठ और अम्बाला के क्रांतिकारियों से सहयोग न मिलने के कारण जतोग की नसीरी सेना ने विद्रोह स्थगित करने का निर्णय लिया।
Revolt of 1857
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