1857 ई. से पूर्व की घटना –
लाहौर सधि से पहाड़ी राजाओं का अँग्रेजों से मोह भंग होने लगा, क्योंकि अँग्रेजों ने उन्हें उनकी पुरानी जागीरें नहीं दी। दूसरे ब्रिटिश-सिख युद्ध (1848 ई.) में काँगड़ा पहाड़ी की रियासतों ने सिखों का अँग्रेजों के विरुद्ध साथ दिया। नूरपुर, काँगड़ा, जसवाँ और दतारपुर की पहाड़ी रियातों ने अँग्रेजों के खिलाफ 1848 ई. में विद्रोह किया जिसे कमिश्नर लॉरेंस ने दबा दिया। सभी को गिरफ्तार कर अल्मोड़ा ले जाया गया जहाँ उनको मृत्यु हो गई।

नूरपुर के वजीर राम सिंह पठानिया अँग्रेजों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुए। उन्हें शाहपुर के पास “डाले को धार” में अंग्रेजों ने हराया। उन्हें एक ब्राह्मण पहाड़चंद ने धोखा दिया। वजीर राम सिंह पठानिय को सिंगापुर भेज दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हो गई।
हि.प्र. में कम्पनी सरकार के विरुद्ध विद्रोह की पहली चिंगारी 20 अप्रैल, 1857 ई. में कसौली सैनिक छावनी में भड़की जब अम्बाला राईफल डिपो के 6 देशी सैनिकों ने कसौली में एक पुलिस चौकी को आग लगा दी।
HP History :1857 के विद्रोह के समय स्थानीय क्रांतिकारी एवं राजा
HP HISTORY : 1857 के विद्रोह के समय महत्त्वपूर्ण ब्रिटिश अधिकारी
Himachal Pradesh Panchayati Raj Act-1994 (73rd Constitutional Amendment)
1857 के विद्रोह से पूर्व की घटना