नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ऐसे सभी लोगों से मदद का आग्रह किया है कि जिनके पास पोकलेन और जेसीबी जैसी मशीनों के अलावा टिपर भी हैं। उन्होंने कहा कि लोग इच्छानुसार अपनी मशीनों और टिपरों को सराज में मदद के लिए भेज सकते हैं। जो भी तेल का खर्च आएगा, उसे उनकी तरफ से अदा किया जाएगा। इसके अलावा और कोई अदायगी नहीं कर पाएंगे। सेब की फसल तैयार है और उसे मंडियों में भिजवाना जरूरी है।
सड़कें बंद होने के कारण इसमें देरी हो रही है। वहीं, सड़कों के न खुलने से गांवों तक बिजली-पानी की सप्लाई में भी लंबा समय लग रहा है। यदि सड़कें खुल जाएंगी तो गांवों तक सभी सुविधाओं को पहुंचाना आसान हो जाएगा। बागवान धर्मचंद ने बताया कि आपदा के कारण फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। सेब के बगीचे पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। आलू, गोभी और मटर की फसलें भी खेतों समेत बह गई हैं। जो रही-सही फसलें बची हैं, उन्हें मंडियों तक पहुंचाने का कोई साधन नजर नहीं आ रहा है।
यदि समय पर सड़कें बहाल नहीं होती हैं तो यह फसलें भी खेतों और बगीचों में ही बर्बाद हो जाएंगी। इसलिए ग्रामीण स्तर के लिंक रोड़ और अन्य सड़कों का जल्द से जल्द खुलना बेहद जरूरी है। बता दें, आपदा के 18 दिन बीत जाने के बाद भी सराज क्षेत्र की बहुत सी सड़कें अभी तक बहाल नहीं हो पाई हैं। प्रदेश सरकार और लोक निर्माण विभाग के प्रयास अभी मुख्य सड़कों पर जारी हैं। जबकि गांवों के लिए जाने वाले कई संपर्क मार्ग अभी तक बंद पड़े हुए हैं, जिस कारण ग्रामीण परेशानी झेल रहे हैं।
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