हिमाचल प्रदेश में बने भवनों का संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट होगा, आपदा सहनशीलता का आकलन करने के लिए यह फैसला लिया गया है। ऑडिट के आधार पर ही आपदाओं के दृष्टिगत संरचनात्मक क्षति के जोखिम को कम करने के लिए रेट्रोफिटिंग उपाय किए जाएंगे। कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। मंत्रिमंडल ने आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास संबंधी मंत्रिमंडलीय उप समिति की सिफारिशों को भी मंजूरी प्रदान की।
समिति ने प्रदेश में भूकंप रोधी निर्माण कार्यों को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में उप समिति का गठन राज्य की आपदा तैयारी और पुनर्वास तंत्र को सुदृढ़ बनाने के उपायों की जांच और सुझाव देने के लिए किया गया था।
उप समिति ने आपदा प्रतिक्रिया की दक्षता बढ़ाने के लिए, उप-समिति ने होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन सेवाओं और एसडीआरएफ को हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) के आपदा प्रबंधन सेल के साथ एकीकृत करने का भी सुझाव दिया है, जिसका उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों के दौरान समन्वित और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने नालों से 5 मीटर, जबकि खड्डों नदी से 7 मीटर छोड़कर ही लोग भवनों का निर्माण करने का फैसला लिया है। इससे पहले नालों से 3, जबकि खड्डों और नदी से 5 मीटर की दूरी पर भवनों का निर्माण होता था। हिमाचल में पिछले मानसून सीजन के दौरान आई प्राकृतिक आपदा के चलते नदी और नालों के किनारे बने भवनों को भारी नुकसान हुआ था।
Himachal News: शिमला में भीड़भाड़ कम करने को कैबिनेट उपसमिति गठित