History of Himachal : Post Gupta period (Huna, Harshvardhan)

Gupta Empire

हिमाचल का इतिहास और गुप्तोत्तर काल (हूण, हर्षवर्धन) post-Gupta period

 

(i) हूणों के आक्रमण-

521 ई. में हूणों ने तोरमाण के नेतृत्व में पश्चिमी हिमालय पर आक्रमण किया। इससे पूर्व भी 480-90 के बीच तोरमाण ने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किए थे। तोरमाण के पश्चात् उसके पुत्र मिहिरकुल जिसे ‘भारत का एटिला’ कहा जाता था, ने 525 ई. में पंजाब से लेकर मध्य भारत तक के क्षेत्र पर आधिपत्य जमा लिया। मगध सम्राट नरसिंह बालादित्य और यशोवर्मन ने मिहिरकुल को पराजित कर कश्मीर भागने पर मजबूर कर दिया। गुज्जर स्वयं को हूणों के वंशज मानते हैं।

 

(ii) हर्षवर्धन एवं ह्वेनसाँग-

Gupta Empire Post Gupta period
Gupta Empire

हर्षवर्धन 606 ई. में भारत की गद्दी पर बैठा। उसके शासनकाल में पाटलिपुत्र, थानेश्वर और कन्नौज शासन के प्रमुख केन्द्र रहे। उसके शासनकाल में ह्वेनसाँग ने भारत की 629-644 ई. तक यात्रा की। ह्वेनसाँग 635 ई. में जालंधर (जालंधर-त्रिगर्त की राजधानी) आया और वहाँ के राजा उतीतस (उदिमा) का 4 माह तक मेहमान रहा।

 

भारत में चीन वापसी के समय 643 ई. में भी वह जालंधर में रुका था। ह्वेनसाँग ने जालंधर के बाद कुल्लू. लाहौल और सिरमौर की यात्रा की थी। हर्षवर्धन की 647 ई. में मृत्यु हो गई। ‘कल्हण’ की पुस्तक ‘राजतरंगिणी’ में कश्मीर के राजा ललितादित्य और यशोवर्मन के बीच युद्ध का विवरण मिलता है। त्रिगर्त, ब्रह्मपुरा (चम्बा) और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों पर यशोवर्मन के प्रभाव का विवरण मिलता है। नौवीं शताब्दी में त्रिगर्त और ऊपरी सतलुज क्षेत्रों पर कश्मीर राज्य का अधिकार हो गया।

Hiuen Tsang
Hiuen Tsang

ह्वेनसाँग ने जालन्धर (शे-लन-तलो), कुलूत, सिरमौर (शत्रुघ्न) की राजधानी सिरमौरी ताल, लाहौल (लो-ऊ-लो) की यात्रा का विस्तृत वर्णन दिया है। चम्बा राज्य उस समय शायद त्रिगर्त के अधीन रहा होगा। महायान धर्म के यहाँ प्रचलित होने का जिक्र उन्होंने अपनी पुस्तक ‘सी-यू-की’ में किया है। निरमण्ड के ताम्रपत्र में स्पीति के राजा समुद्रसेन का वर्णन मिलता है।

 

हि.प्र. में त्रिगर्त और कुल्लूत के अलावा छोटे-छोटे सरदारों के समूह उभर आए जिन्हें ठाकुर और राणा कहा जाता था। गुप्तोत्तर काल में ठाकुरों के शासनकाल को ‘अपठकुराई’ तथा अधिकार क्षेत्र को ‘ठकुराई’ कहा जाता था। राणाओं के अधिकार क्षेत्र को ‘राहुन’ कहा जाता था। सातवीं से दसवीं शताब्दी के बीच मैदानों से आए राजपूतों ने हिमाचल में अपने राजवंश स्थापित किए। इन्होंने राणाओं और ठाकुरों को अपने सामन्तों की स्थिति में पहुँचा दिया था।

 

Mukhya Mantri Kanyadan Yojna मुख्य मन्त्री कन्यादान योजना

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here
हिमाचल प्रदेश की खबरें पढ़ने के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें Click Here

error: Content is protected !!