ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों की पढ़ने व समझने की क्षमता खत्म हो रही है। शिक्षक व छात्रों का तालमेल नहीं बन पा रहा है, जो कि कक्षाओं में बनता है। इससे पढ़ाई पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ई-पीटीएम के माध्यम से अभी तक डेढ़ लाख अभिभावक शिक्षकों को इस बारे में अवगत करवा चुके हैं।
अभिभावकों ने ई-पीटीएम से शिक्षकों को छात्रों की स्टडी के गिरते स्तर पर अवगत करवाया। ऑनलाइन ई-पीटीएम में अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे मोबाइल में लेक्चर लगाकर खेलने के लिए चले जाते हैं। कई बार एक तरफ शिक्षक पढ़ा रहे होते हैं, तो दूसरी तरफ ऑनलाइन गेम में भी छात्र मग्न होते हैं। अभिभावकों ने कहा कि सरकार ऑनलाइन क्लासेज के नियमों में बदलाव करें। इसके साथ ही हर घर पाठशाला के पैटर्न को भी बदले।
दरअसल सरकार द्वारा घर पाठशाला पोर्टल के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है, लेकिन इसमें पूरी पढ़ाई ऑफ दि रिकोर्ड है। यानी कि शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान छात्रों पर नजर नहीं रख सकते कि वे क्लास लगा रहे हैं या नहीं।
ऐसे में अभिभावक मांग कर रहे हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई के पैटर्न में बदलाव किया जाए, ताकि छात्रों की शिक्षा का स्तर और न गिरे। बता दें कि चार जून से शिक्षा विभाग ने ई-पीटीएम कार्यक्रम चलाया है। ईपीटीएम से अभिभावक अभी शिक्षकों को ऑनलाइन स्टडी की खामियों के बारे में बता रहे हैं।
वहीं नौ जून को शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर खुदर भी अभिभावकों से ऑनलाइन सवाल-जवाब करेंगे। इस दौरान अभिभावक बताएंगे कि ऑनलाइन स्टडी में क्या सुधार चाहते हैं। 60 प्रतिशत अभिभावक पहली से आठवीं तक के छात्रों का सिलेबस कम करना चाहते हैं, वहीं चाहते हैं कि ऑनलाइन स्टडी के बदलाव के साथ ही सिलेबस कटौती भी की जाए।
अभिभावकों का मानना है कि ज्यादा सिलेबस होने की वजह से छोटे बच्चों को स्ट्रेस भी हो रहा है। मंडी, लाहुल, किन्नौर, बिलासपुर, सोलन के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने कहा कि इंटरनेट समस्या होने की वजह से उनके बच्चों की पढ़ाई ही पूरी नहीं हो पा रही है।
अभिभावकों के भी एग्जाम
ऑनलाइन सुझाव लेने के बाद अब अभिभावकों को प्रश्नपत्र जारी किए जाएंगे। अभिभावक ऑनलाइन प्रश्नपत्रों को भरेंगे। उन प्रश्नपत्रों में अभिभावक लिखित में बताएंगे कि ऑनलाइन स्टडी में क्या-क्या सुधार होने चाहिएं। इसके साथ ही ऑनलाइन स्टडी से छात्रों को होने वाली परेशानियों पर भी खुलकर अभिभावक लिखित में जवाब देंगे।