प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दो साल बाद छोटी कक्षा यानी तीसरी से सातवीं के बच्चे करीब पांच लाख बच्चे स्कूल आएंगे। प्रदेश सरकार ने भले ही स्कूलों को खोलने का फैसला ले लिया है, लेकिन अभिभावक मंगलवार को इस चिंता में रहे कि कैसे वे अपने बच्चों को स्कूल भेजे।

सरकारी स्कूलों में अभिभावक जहां बच्चों कों भेजने के लिए तैयार दिखे, वहीं निजी स्कूलों के अभिभावकों का कहना था कि साल खत्म होने को अब केवल दो माह बचे हैं। ऐसे में एकदम से स्कूल खोलने का फैसला सही नहीं है। अब केवल दो माह के लिए वर्दी खरीदनी पड़ेगी, वहीं बच्चों को स्कूल भेजने के लिए टैक्सी कैसे हायर होगी। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक चिंतित है।
हांलाकि शिक्षा विभाग ने स्कूलों के लिए पहले ही एसओपी जारी की है और उसी एसओपी के तहत बच्चे स्कूल आएंगे। सर्दी-जुकाम वाले छात्रों को स्कूल आने पर पूरी तरह से मनाही है वहीं स्कूलों में थर्मल स्कैनिंग और प्रॉपर सेनेटाइजेशन के बाद ही प्रवेश मिलेगा। लेकिन उसके बाद भी अभिभावक छोटे बच्चों को भेजने का रिस्क नहीं लेना चाहते।
सोलह नवंबर से प्रदेश के स्कूलों में टर्म-वन की परीक्षाएं होनी है। इसके साथ ही छोटे बच्चों की परीक्षाएं भी शुरू होनी है। ऐसे में स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि छोटे बच्चों के लिए भी इस तरह से परीक्षा का शेडयूल बनाया जाए कि बच्चे शिफ्टों में स्कूल आ सके। इससे सोशल डिस्टेसिंग को बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी। खासकर उन स्कूलों में जहां पर बच्चे अधिक और बैठने की व्यवस्था कम है।
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