ईपीएफो की बैठक में ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला किया गया है। पहले यह 8.5 फीसदी था, जो अब 8.1 फीसदी कर दिया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार से गुवाहाटी में शुरू हुई थी।
बैठक में गहन विचार-विमर्श करने के बाद शनिवार को बड़ा फैसला लिया गया है। ईपीएफओ ने जमा पर मिलने वाली ब्याज दर में बदलाव किया है और इसे 8.5 से घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया है।
होली से पहले सरकार ने कर्मचारियों को एक बड़ा झटका दिया है, जो सीधे देश के लगभग छह करोड़ वेतनभोगियों को निराश करती है। यह दर पिछले करीब चार दशकों यानी 40 सालों में सबसे कम है। 1977-78 में ईपीएफओ ने आठ फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है।

11 मार्च, शुक्रवार को ही ईपीएफओ की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी, जो शनिवार को खत्म हो गई है, जिसमें ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के देश के करीब छह करोड़ कर्मचारियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
पहले 8.50 प्रतिशत था जमा पर सूद,

पिछले दो फाइनेंशियल ईयर (2019-20 और 2020-21) की बात करें तो ब्याज दर 8.50 प्रतिशत से रही है। 2018-19 में 8.65 प्रतिश रही है। वहीं अगर अब तक में सबसे अधिक ब्याज की बात की जाए तो वह 12 पर्सेंट थी, जो फाइनांशियल ईयर 1989-2000 में रही है। ईपीएफ की शुरुआत 1952 में हुई थी।
Indian Railways’ first Gati Shakti Cargo Terminal inaugurated