केंद्र सरकार की योजना मिड डे मील का अब दायरा बढ़ाया जाएगा। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में सभी स्कूलों को आदेश जारी किए गए हैं, जिसमें अब प्रदेश के नर्सरी और केजी में पढऩे वाले बच्चे भी शामिल होंगे।
Mid Day Meal scheme
केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद शिक्षा विभाग ने पहली से आठवीं कक्षा तक वितरित किए जाने वाले मिड-डे मील का दायरा बढ़ाकर अब प्री-प्राइमरी तक कर दिया है। इसमें अब छोटे बच्चे भी शामिल होंगे। इसके लिए नर्सरी से आठवीं कक्षा तक 130 करोड़ का वार्षिक बजट प्लान केंद्र सरकार को भेजने को भी मंजूरी मिली है।
गौर रहे कि केंद्र सरकार ने अब मिड-डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना कर दिया है। पहली से आठवीं तक इसमें करीब पांच लाख बच्चे कवर होते थे, लेकिन अब इसमें प्री-प्राइमरी को भी जोड़ा जाएगा।
प्रदेश में निजी स्कूलों का मुकाबले करने के लिए सरकारी स्कूलों में नर्सरी और केजी कक्षा को शुरू किया गया है। साल-दर-साल इन कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है। अब प्रदेश में चल रहे करीब चार हजार प्री-प्राइमरी स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या 51 हजार तक पहुंच गई है।

ऐसे बच्चे, जो आंगनबाड़ी नहीं जाते और स्कूलों में एनरोल हुए हैं, उनके लिए भी स्कूलों में अब दोपहर का खाना बनेगा। कोविड की बात की जाए, तो पिछले दो सालों में सरकारी स्कूलों में बच्चों की एडमिशन का ग्राफ भी बढ़ा है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसका फायदा मिलेगा।
वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पौष्टिक नाश्ता उपलब्ध कराने की सिफारिश की गई है, लेकिन अब इसके लिए प्रदेश सरकार को केंद्र से मंजूरी का इंतजार है। प्रदेश के स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं में प्रति विद्यार्थी सौ ग्राम चावल और अपर प्राइमरी में 150 ग्राम चावल दिए जाते हैं।

कोरोना संकट के चलते पिछले दो साल से स्कूल बंद थे और बच्चों को सूखा राशन ही दिया जा रहा था। अब प्रदेश में कोविड की स्थिति सामान्य है और ऐसे में अब स्कूलों में मिड-डे मील भी पक रहा है। वहीं कुकिंग कॉस्ट पर भी प्रति छात्र 4.97 रूपए खर्च किए जाएंगे।