हिमाचल का मध्यकालीन इतिहास: मोहम्मद गोरी
मोहम्मद गौरी ने 12वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में 1175 ई. से 1192 ई. तक भारत पर अनेक आक्रमण किए। 1192 ई. में तराइन के युद्ध में उसने दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिल्ली पर कब्जा कर लिया। मुसलमानों द्वारा दिल्ली पर कब्जा करने और उनके गंगा के मैदानों में प्रवेश करने से हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों के इतिहास और संस्कृति पर प्रभाव पड़ा।
भारत के मैदानों में मुसलमान आक्रान्ताओं के प्रवेश से 12वीं शताब्दी में चौहान, चन्देल, तोमर, पँवार और सेन आए और उन्होंने हिमाचल प्रदेश में छोटी-छोटी रियासतों की स्थापना की। मुसलमानों के दिल्ली, बनारस और बंगाल पर कब्जा करने पर ब्राह्मण एवं राजपूत प्रवासियों की संख्या हिमाचल प्रदेश में बढ़ती चली गई।

शाही वंश के प्रवासियों की अपनी परम्परा और स्तर के अनुकूल वे भाड़े पर काम करने वाले सामन्त और कहीं-कहीं स्वतन्त्र शासक बन गए। यह वर्ग सामाजिक अराजकता का समर्थन करता था क्योंकि ऐसी अवस्था में ही उन्हें लाभ होता था।
सम्भवतः इससे दो अन्य प्रक्रियाओं पर भी प्रकाश पड़ता है -एक तो शाही शक्ति के क्षीण होने पर, दूसरे कश्मीर के पूर्व में एकमात्र जीवित राज्य के रूप में त्रिगर्त के उदय होने पर इस समय में पश्चिमी हिमालय ने न केवल हिन्दू प्रवासियों को शरण दी, बल्कि दिल्ली सल्तनत के पराजित गुलामवंशियों (1206-1290 ई.) एवं खिलजियों ( 1290-1320 ई.) को भी आश्रय दिया।
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