हिमाचल के कुछ प्रमुख आंदोलनकारी | Major activities related to freedom movement in Himachal Pradesh
■ 1915 ई. में ऊना में ऋषिकेश लट्ठ ने क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत की।
■ हमीरपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार यशपाल 1918 ई. में स्वाधीनता संग्राम में शामिल हुए। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के चीफ कमाण्डर रहे यशपाल को 1932 ई. में उम्रकैद की सजा हुई।
■ धर्मशाला के दो गोरखा भाइयों दुर्गामल और दल बहादुर थापा को दिल्ली में फाँसी की सजा दी गई।
■ सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के लिए 1930 में बाबा लछमन दास और सत्य प्रकाश ‘बागी’ को ऊना में गिरफ्तार किया गया।
■ इंडियन नेशनल आर्मी के मेजर मेहर दास को ‘सरदार-ए-जंग’, कैप्टन बक्शी प्रताप सिंह को ‘तमगा-ए-शत्रुनाश’ और सरकाघाट के हरी सिंह को ‘शेर-ए-हिंद’ की उपाधियाँ दी गईं।
1920 के दशक की घटनाएँ

■ 1920 में हिमाचल प्रदेश में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई। शिमला में 1921 ई. में कांग्रेस के प्रथम प्रतिनिधि मण्डल का गठन किया गया। इसी वर्ष देशी रियासत के शासकों ने ‘चेंबर ऑफ प्रिसेंज’ (नरेंद्र मंडल) का गठन किया।
■ दिसंबर 1921 में इंग्लैंड के युवराज ‘प्रिंस ऑफ वेल्स के शिमला आगमन का विरोध हुआ।
■ 1922 ई. में लाला लाजपत राय को लाहौर से लाकर धर्मशाला में बंद किया गया।
■ 1925 ई. में लॉर्ड रीडिंग ने शिमला में ‘सेंट्रल कौन्सिल चेंबर’ (वर्तमान विधानसभा) का उद्घाटन किया।
■ 1928 ई. में शिमला और काँगड़ा में साइमन कमीशन के आगमन का विरोध किया गया।
प्रशासनिक सुधार
■ मण्डी के राजा ने 1933 ई. में मण्डी विधानसभा का गठन किया। इस विधानसभा ने पंचायती राज अधिनियम पास किया।
■ इस अधिनियम को लागू करने वाला मण्डी शिमला रियासतों में पहला राज्य था।
■ मण्डी के अलावा बिलासपुर बुशहर और सिरमौर राज्यों ने भी प्रशासनिक सुधार की शुरुआत की।
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