Kangra Fort, Sansarchand and Maharaja Ranjit Singh, काँगड़ा किला,संसारचंद और महाराजा रणजीत सिंह

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काँगड़ा की पहाड़ियों पर आक्रमण करने वाला पहला सिख जस्सा सिंह रामगढ़िया था लेकिन उसको राजा घमण्डचंद ने हरा दिया। घमण्डचंद की मृत्यु के उपरान्त संसारचंद द्वितीय 1782 ई. में जयसिंह कन्हैया की सहायता से मुगलों से काँगड़ा किला छीन लिया। जयसिंह कन्हैया ने 1783 में काँगड़ा किला अपने कब्जे में लेकर संसारचंद को देने से मना कर दिया।

 

Kangra Fort, Sansarchand and Maharaja Ranjit Singh,
Kangra Fort, Sansarchand and Maharaja Ranjit Singh,

किला चार वर्ष तक जयसिंह के अधिकार में रहा। संसारचंद ने सुकरचकिया मिशल के महासिंह तथा रामगढ़िया के जस्सा सिंह के साथ मिलकर जयसिंह के विरुद्ध मोर्चा बनाया। बटाला में विरोधी सेनाओं में लड़ाई हुई जिसमें जयसिंह पराजित हुआ।

 

 

 

 

Kangra Fort, Sansarchand and Maharaja Ranjit Singh,
Kangra Fort, Sansarchand and Maharaja Ranjit Singh,

अन्ततः 1786 ई. में जयसिंह के साथ समझौता हुआ, जिसमें उसने पहाड़ी राज्यों और किले का अपना अधिकार संसारचंद को सौंप दिया और इसके बदले में संसारचंद ने उसके जीते हुए मैदानी क्षेत्र उसे लौटा दिए ।

 

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