Major activities related to freedom movement in Himachal Pradesh (Mandi Conspiracy)
मण्डी षड्यंत्र 1914-15 की प्रमुख घटना थी। यह घटना गदर पार्टी से प्रभावित होकर घटी थी। इस पार्टी की स्थापना सैन फ्रांसिस्को में लाला हरदयाल सिंह ने की थी। गदर पार्टी के कुछ सदस्यों ने अमेरिका से वापस आकर मण्डी और सुकेत की रियासतों में लोगों के बीच अपना समर्थन बनाने के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने ‘गदर की गूँज’ साहित्य को पढ़कर लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध उकसाना शुरू किया।
मण्डी की रानी खैरगढ़ी और मियां जवाहर सिंह को उन्होंने अपने प्रभाव में कर लिया तथा रानी ने धन देकर उनकी सहायता की। दिसंबर 1914 और जनवरी 1915 में गुप्त बैठकों के दौरान पुलिस अधिकारी और वजीर को मारने तथा सरकारी कोष को लूटकर व्यास नदी पर बने पुल को उड़ाने की योजना बनाई गई। लेकिन नागचला डकैती के अलावा गदर पार्टी के सदस्य किसी अन्य योजना में सफल नहीं हो सके। फलस्वरूप रानी खैरगढ़ी को मण्डी से निष्कासित कर दिया गया।

पार्टी के सदस्यों की धर-पकड़ के बीच हरदेव भागने में सफल रहा और गढ़वाल में बद्रीनाथ पहुँच गया। उसने अपना नाम बदलकर स्वामी कृष्णानंद रख लिया और कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर 1917 ई. में सिंध प्रांत के अहिंसात्मक आंदोलन में शामिल हो गया।
अंत में जवाहर नरयाल, मियां जवाहर सिंह, बद्रीनाथ, सिद्ध खराड़ा, ज्वाला सिंह, शारदा राम, दलीप सिंह और लौंगूराम आदि सभी क्रांतिकारी पकड़े गए और मुकदमे चलाकर उन्हें लंबी-लंबी कैद की सजा सुनाई गई। इसी के साथ मण्डी का क्रांतिकारी संगठन कमजोर पड़ गया।
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