● आधुनिक हिमाचल का इतिहास (सिख) History of Modern Himachal (Sikh)
सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी ने काँगड़ा, ज्वालामुखी, कुल्लू, सिरमौर और लाहौल-स्पीति की यात्रा की। उनकी इस यात्रा की याद में सबाथू के नजदीक जोहरसर में गुरुद्वारा बना है। पाँचवें सिख गुरु अर्जुन देव जी ने पहाड़ी राज्यों में भाई कल्याण को हरमिंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के लिए भेजा।

कुल्लू, सुकेत, मण्डी, चम्बा और हरिपुर के राजा गुरु अर्जुन देव के शिष्य बने । छठे गुरु हरगोविंद जी ने बिलासपुर (कहलूर) के राजा की तोहफे में दी हुई भूमि पर कीरतपुर शहर बसाया तथा गद्दी की स्थापना की। नवें सिख गुरु तेगबहादुरजी ने कहलूर (बिलासपुर) से जमीन लेकर (तीन गाँव) ‘मखोवाल’ गाँव की स्थापना की जो बाद में आनंदपुर साहिब कहलाया। यह उनका निवास स्थान बना।
● आधुनिक हिमाचल का इतिहास – गुरु गोविंद सिंह History of Modern Himachal – Guru Gobind Singh
दसवें गुरु गोविंद सिंह और कहलूर के राजा भीमचंद के बीच सफेद हाथी को लेकर मनमुटाव हुआ जिसे असम की रानी रतनराय ने दिया था। गुरु गोविंद सिंह 5 वर्षों तक पौंटा साहिब में रहे और दशम ग्रंथ की रचना की। गुरु गोविंद सिंह और कहलूर के राजा भीमचंद; उसके समधी गढ़वाल के फतेहशाह और हण्डूर के राजा हरिचंद के बीच 1686 ई. में ‘भगानी साहिब’ का युद्ध हुआ।

इस युद्ध में गुरु गोविंद सिंह ने जीत हासिल की। इस युद्ध में हण्डूर (नालागढ़) के राजा हरिचंद मारे गए। युद्ध के बाद गुरु गोविंद सिंह ने हरिचंद के उत्तराधिकारी को भूमि लौटा दी और भीमचंद के साथ भी उनके संबंध मधुर हो गए। राजा भीमचंद ने मुगलों के विरुद्ध गुरु गोविंद सिंह से सहायता माँगी। गुरु गोविंद सिंह ने नदौन में मुगलों को हराया।
मण्डी के राजा सिद्धसेन के समय गुरु गोविंद सिंह ने मण्डी और कुल्लू की यात्रा की। गुरु गोविंद सिंह ने 13 अप्रैल, 1699 ई. को बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब (मखेवाल) में 80 हजार सैनिकों के साथ खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु गोविंद सिंह जी की 1708 ई. में नांदेड़ (महाराष्ट्र) में मृत्यु हो गई। बंदा बहादुर की मृत्यु के बाद सिख 12 मिसलों में बंट गए।
● काँगड़ा किला,संसारचंद और महाराजा रणजीत सिंह Kangra Fort, Sansarchand and Maharaja Ranjit Singh

काँगड़ा की पहाड़ियों पर आक्रमण करने वाला पहला सिख जस्सा सिंह रामगढ़िया था लेकिन उसको राजा घमण्डचंद ने हरा दिया। घमण्डचंद की मृत्यु के उपरान्त संसारचंद द्वितीय 1782 ई. में जयसिंह कन्हैया की सहायता से मुगलों से काँगड़ा किला छीन लिया। जयसिंह कन्हैया ने 1783 में काँगड़ा किला अपने कब्जे में लेकर संसारचंद को देने से मना कर दिया।

किला चार वर्ष तक जयसिंह के अधिकार में रहा। संसारचंद ने सुकरचकिया मिशल के महासिंह तथा रामगढ़िया के जस्सा सिंह के साथ मिलकर जयसिंह के विरुद्ध मोर्चा बनाया। बटाला में विरोधी सेनाओं में लड़ाई हुई जिसमें जयसिंह पराजित हुआ। अन्ततः 1786 ई. में जयसिंह के साथ समझौता हुआ, जिसमें उसने पहाड़ी राज्यों और किले का अपना अधिकार संसारचंद को सौंप दिया और इसके बदले में संसारचंद ने उसके जीते हुए मैदानी क्षेत्र उसे लौटा दिए ।
इसे भी पढ़ें
हिमाचल इतिहास और शाहजहाँ, Himachal History and Shahjahan
हिमाचल इतिहास और औरंगजेब, Himachal History and Aurangzeb
हिमाचल इतिहास, मुगल प्रशासन, कला और साहित्य
HP History : मुगलों का पतन और, राजाओं का विद्रोह
History of Modern Himachal : आधुनिक हिमाचल का इतिहास
+ There are no comments
Add yours