राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के जिला में ही राजस्व अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को एक करोड़ से अधिक का चूना लगाया है। जमीनों की खरीद-फरोख्त में यह गड़बड़झाला किया गया है। जमीनों की रजिस्ट्ररी से जितना राजस्व सरकार के खाते में स्टांप फीस के रूप में जाना चाहिए था, वह सरकार के खजाने में न जाकर कहीं और चला गया।
जिला उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी ने स्वयं जिला की चार तहसीलों मंडी सदर, बल्ह, सुंदरनगर और जोगिंद्रनगर में की गई जांच पड़ताल के बाद यह मामला पकड़ा है। जमीन बेचने-खरीदने के 25 बड़े मामलों में अनियमितताएं प्रशासन ने पकड़ी हैं।
इस मामले के सामने आने के बाद दो सप्ताह तक की गई लंबी जांच के बाद जिला प्रशासन ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, पटवारी और डीड राइटर्स समेत एक दर्जन को नोटिस जारी किए हैं। इन सबसे एक करोड़ की रिकवरी बनती है।
नोटिस में सात दिनों के भीतर जबाब मांगा गया है। साथ ही ऐसी सभी रजिस्ट्ररी की फिर से वेल्यूएशन करने के लिए भी कहा गया है। जमीन खरीदने व बेचने वालों को पैसा भरना पड़ेगा या सरकार अधिकारियों से रिकवरी करेगी। जिला प्रशासन ने मामले की रिपोर्ट राजस्व मंत्री और प्रधान सचिव राजस्व को भेज दी है।
राजस्व विभाग के कई अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार भी लटक गई है। उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी का कहना है कि एक करोड़ से अधिक के नुकसान आकलन है। संबंधित अधिकारियों, राजस्व कर्मियों व अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस देकर सात दिनों में जबाब मांगा गया है।
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