(बोलता हिमाचल): हिमाचल प्रदेश में जिला प्रशासन का सब्जियों और खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर नियंत्रण खत्म हो गया है। प्रदेश सरकार की ओर से 31 दिसंबर, 2020 के बाद इसे पूरी तरफ से खत्म कर दिया है।

अनिवार्य सेवा के तहत बने दो एक्ट पूरी तरह से समाप्त करने के बाद यह स्थिति बनी है। प्रदेश सरकार एक्ट रिन्यू करने के पक्ष में नहीं है। इसके पीछे कारोबारियों का दबाव माना जा रहा है।
जब तक एक्ट रिन्यू नहीं होता, तब तक कारोबारी खुद सब्जियों, खाने की थाली, मीट, चाय, समोसा, कुलचे भटूरे के दाम तय करेंगे। जिला शिमला और कुल्लू में दामों में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जबकि अन्य जिलों में अभी पुराने ही दामों पर खाद्य वस्तुएं मिल रही हैं।
जिला शिमला प्रशासन ने सामान्य खाने की थाली के रेट 70 रुपये तक किए हैं और मौजूदा समय में ढाबा मालिक 90 से 120 रुपये वसूल रहे हैं। कुलचे भटूरे की एक प्लेट 50 की जगह 60 रुपये में बिक रही है।
10 रुपये की जगह चाय और समोसे के 15-15 रुपये लिए जा रहे हैं। सब्जियों की कीमत से भी प्रशासन का नियंत्रण हटा दिया है। सब्जी विक्रेता मनमाने दाम वसूल रहे हैं। पहले ओवरचार्जिंग पर कार्रवाई होती थी, लेकिन अब प्रशासन का यह बैरियर सरकार ने पूरी तरह हटा दिया है।

सरकार ने आम जनता से खुली लूट का अघोषित लाइसेंस जारी कर दिया है। सरकार के नुमाइंदे कहते हैं कि जब तक उपायुक्त रिन्यू करने के लिए प्रस्ताव नहीं भेजेंगे, तब तक पुरानी व्यवस्था लागू करने के निर्देश नहीं दे सकते।
प्रशासन में बैठे अधिकारी कहते हैं कि इसमें प्रस्ताव भेजने की कभी जरूरत नहीं पड़ी, संबंधित विभाग खुद रिन्यू कर उपायुक्तों को भेज देता था। सरकार और प्रशासन के बीच की इस अव्यवस्था में आम जनता पिसने लगी है।

शिमला शहर में सब्जी मंडी में बुधवार को प्याज की कीमत प्रति किलो 50 रुपये रही, टमाटर 30 और आलू 20 रुपये में बिका, लेकिन उपनगरों में सब्जी विक्रेता मनमाने तरीके से सब्जियां बेच रहे हैं। शिमला शहर व्यापार मंडल के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि 15 रुपये चाय की कीमत जायज है। कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।
होर्डिंग एंड प्रोफिटेरिंग प्रिवेंशन ऑर्डर 1977 (Hoarding and profiteering Prevention Order 1977) को आगे बढ़ाने के लिए जिला उपायुक्तों की ओर से प्रस्ताव नहीं आया है। – मनोज कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव खाद्य आपूर्ति
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