कृषक असंतोष एवं जन आंदोलन Peasant discontent and mass movement
बुशहर रियासत में 1859 ई. में दूम्म आंदोलन ( जब कभी राजा कोई ऐसा काम करता या भूमि कर लगाता था, जो प्रजा के हिसाब से अनुचित और अन्यायपूर्ण होता था तो अपना रोष व विरोध दर्शाने के लिए लोग गाँव को छोड़कर जंगल में चले जाते थे। इसे दूम्म आंदोलन कहा जाता था।) इसका प्रमुख केंद्र रोहडू था।
दूम्म आंदोलन क्यू हुआ?
यह आंदोलन मुख्यतः 1854 ई. में संपन्न हुई जमीन की पैमायश के विरुद्ध था। नूरपुर निवासी तहसीलदार श्यामलाल ने उस समय जमीन का बंदोबस्त किया और नकदी लगान निश्चित किया। इस आंदोलन का संबंध तत्कालीन राज्य व्यवस्था से भी था।

दूम्म आंदोलनकारियों की तीन माँगें थीं?
(1) नई लगान व्यवस्था को समाप्त किया जाए,
(2) खानदानी वजीरों को वापस सत्ता सौंपी जाए और
(3) लगान की वसूली परंपरागत तरीके से उपज व वस्तुओं के माध्यम से की जाए।
इस समस्या को सुलझाने के लिए शिमला के डिप्टी कमिश्नर विलियम हे और रियासतों के सुपरिंटेंडेंट जॉर्ज कारनेक बार्नस बुशहर आए और राजा शमशेर सिंह से विचार-विमर्श किया। तत्पश्चात आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए सुपरिंटेंडेंट बार्नस ने इन तीनों माँगों को मान लिया और यह आंदोलन समाप्त हो गया।
दूम्म आंदोलन क्या है?
जब कभी राजा कोई ऐसा काम करता या भूमि कर लगाता था, जो प्रजा के हिसाब से अनुचित और अन्यायपूर्ण होता था तो अपना रोष व विरोध दर्शाने के लिए लोग गाँव को छोड़कर जंगल में चले जाते थे। इसे दूम्म आंदोलन कहा जाता था।
दूम्म आंदोलन कब हुआ?
बुशहर रियासत में 1859 ई.
इसे भी पढ़ें
Founder of the Princely States of Himachal Pradesh, and Year of Establishment
HP Investigator Exam Previous Year Question Paper Mcq
HP Police Previous Year Question Paper
Dumm Movement in Bushahr State
+ There are no comments
Add yours