Digital Health Mission : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को डिजिटल हैल्थ मिशन का आगाज कर दिया। इसके तहत हर नागरिक का होगा आधार जैसा यूनीक हैल्थ कार्ड। योजना फिलहाल छह केंद्रशासित प्रदेशों से शुरू की गई है और फिर पूरे देश के राज्यों में लागू की जाएगी।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आपके हर टेस्ट, हर बीमारी, आपको किस डॉक्टर ने कौन सी दवा दी, कब दी, आपकी रिपोट्र्स क्या थीं, ये सारी जानकारी इसी एक हैल्थ आईडी (नेशनल डिजिटल हैल्थ मिशन के तहत बनाई जाने वाली आईडी) में समाहित होगी।

आज भारत में कोरोना की एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन वैक्सीन्स इस समय टेस्टिंग के चरण में हैं। जैसे ही वैज्ञानिकों से हरी झंडी मिलेगी, देश की तैयारी उन वैक्सीन्स की बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन की भी तैयारी है।
साफ है कि इस योजना के तहत भारतवासियों को स्वास्थ्य लाभ मिलने में अब और सहूलियत प्रदान की जाएगी। मिशन के अंतर्गत पर्सनल मेडिकल रिकॉर्ड और जांच सेंटर जैसे संस्थानों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा सकें।
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया था कि देश में हेल्थ आईडी कार्ड लाया जाएगा, जिसमें नागरिक की सेहत का पूरा रिकॉर्ड होगा। पीएम ने कहा कि हमारा देश गर्व के साथ कह सकता है कि 130 करोड़ से ज्याा आधार कार्ड बन चुके हैं।

देश में अब 80 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं और 43 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते हैं। यूपीआई के माध्यम से कभी भी कहीं भी डिजिटल लेनदेन में आज भारत दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है। ई-रुपे वाउचर भी एक सामान्य पहल है। आरोग्य सेतु ऐप से कोरोना संक्रमण की रोकथाम में बड़ी मदद मिली है, इससे लोगों को काफी जागरूक बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत दो करोड़ से ज्यादा मुफ्त इलाज का लाभ उठा चुके हैं। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, वहीं ई संजीवनी योजना के तहत सवा करोड़ से ज्यादा लोग घर बैठे प्रख्यात डॉक्टरों से चिकित्सा सलाह ले चुके हैं। आयुष्मान योजना ऐसे लोगों के लिए बड़ा संबल बनी है.

पीएम मोदी ने कहा कि जो फिल्म आयुष्मान हेल्थ योजनाको लेकर यहां दिखाई गई है, उसमें ऐसे ही हजारों लाभार्थियों की कहानी बताई गई ह। डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत अस्पतालों में इलाज में लगने वाला समय बर्बाद नहीं हो जाएगा। इसके तहत एक यूनीक हैल्थ कार्ड होगा, जिससे मरीजों को अपनी बीमारी और इलाज का फाइलों का रिकॉर्ड साथ लेकर नहीं चलना पड़ेगा।
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