चम्बा (CHAMBA District of Himachal Pradesh)
चम्बा मुख्यालय –
चम्बा (1006 मीटर); क्षेत्रफल – 6528 वर्ग किलोमीटर। दर्रे – जालसु, साचपास, कुगति दर्रा, पौंडरी दर्रा, बसोदन दर्रा । जनसंख्या – 5,15,844, लिंग अनुपात – 989, जनसंख्या घनत्व – 80, साक्षरता – 73.19%
चम्बा इतिहास?
चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई. में मेरू वर्मन ने की थी, जबकि चम्बा शहर की स्थापना 920 ई. में साहिल वर्मन ने की थी । उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पुत्री चम्पावती के नाम पर रखा। साहिल वर्मन सूर्यवंशी राजा था, जो अयोध्या से आया था। चम्बा रियासत की पहली राजधानी ब्रह्मपुर (वर्तमान भरमौर) थी, जिसे 920 ई. में साहिल वर्मन ने चम्बा में स्थानांतरित कर दिया।
चम्बा के राजा राजसिंह व कांगड़ा के राजा संसारचंद के बीच 1788 ई. में ‘शाहपुर संधि’ हुई थी। 1804 ई. में अमर सिंह थापा ने चम्बा पर कब्जा कर लिया। 1863 ई. में मेजर ब्लेयर चम्बा का पहला अंग्रेज शासक था। 13 नवम्बर, 1871 में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड मायो चम्बा आए थे। बायसराय लॉर्ड कर्जन 1 सितम्बर, 1900 ई. में चम्बा आए थे ।
भूरि सिंह संग्रहालय?
1908 में भूरि सिंह संग्रहालय ( म्यूजियम) की स्थापना की गई। सन् 1914 ई. में राजा भूरिसिंह को पहले विश्वयुद्ध में अंग्रेजों की सहायता करने के लिए नाइटहुड की उपाधि से अलंकृत किया गया। सन् 1932 ई. में चम्बा पीपुल लीग की स्थापना हुई थी तो 1936 ई. में चम्बा सेवक संघ का गठन हुआ।
डलहौजी की स्थापना?
1854 ई. में लॉर्ड डलहौजी द्वारा की गई । चम्बा शहर रावी नदी के किनारे बसा हुआ है। सैंट जोन्स चर्च 1853 ई. में बना। यह हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना चर्च है। यह डलहौजी में स्थित है ।
चम्बा जिले के रूप में?
-8 मार्च, 1948 ई. को चम्बा के आखिरी राजा लक्ष्मण सिंह ने चम्बा के भारत के विलय की घोषणा कर दी। 15 अप्रैल, 1948 को चम्बा हिमाचल के पहले चार जिलों में से एक जिला बना । अनुसूचित जनजाति की सबसे अधिक जनसंख्या चम्बा में पाई जाती है।
चम्बा मंदिर व मेले?
भरमौर में 84 मंदिरों का समूह है।
चम्बा मिंजर मेला?
मिंजर मेला साहिल वर्मन द्वारा शुरू किया गया। मिंजर का अर्थ है- मक्की का सिट्टा जिसे रावी नदी में बहाया जाता है। इसमें चम्बा के लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा की जाती है। इस मेले को राजा प्रताप वर्मन द्वारा कांगड़ा शासक पर विजय का प्रतीक भी माना जाता है। यह मेला अगस्त के महीने में चम्बा के चौगान मैदान पर लगता है।
सुही मेला ?
यह मेला साहिल वर्मन द्वारा शुरू किया गया था। यह मेला अप्रैल के महीने में लगता है। यह महिलाओं और बच्चों के लिए भी मनाया जाता है। साहिल वर्मन की पत्नी रानी नयना देवी की राज्य में पानी की आपूर्ति के लिए बलिदान देने पर यह मेला प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
यात्रा – फूल यात्रा पांगी के किलाड में अक्तूबर के महीने में मनाई जाती है। छतराड़ी यात्रा सितम्बर के महीने तथा भरमौर यात्रा अगस्त के महीने में मनाई जाती है। मणिमहेश यात्रा सितम्बर के महीने में मनाई जाती है। नवाला मेला गद्दी जनजाति द्वारा मनाया जाता है, जिसमें शिव की पूजा की जाती है।

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