बिजली बोर्ड में करुणामूलक आश्रितों के लगभग 782 मामले लंबित पड़े है जो बोर्ड द्वारा 14-15 सालों से लटकाये हुए हैं। बिजली बोर्ड में 5 प्रतिशत कोटे के हिसाब से 360 पद बनते है, पर बोर्ड द्वारा करुणामूलक आश्रितों को कोटा नहीं दिया जा रहा है, जिस वजह से आश्रित परिवारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

एक तो आश्रित परिवारों ने अपने परिवारों का कमाने वाला सदस्य खोया है और दूसरी तरफ बिजली बोर्ड करुणामूलक मामलों को लंबे समय से लटकाये हुए है, जिसके चलते दिन प्रतिदिन मामले बढ़ रहे है व नौकरी किसी को नहीं मिल रही है।
करुणामूलक मामलों के निपटारे में ऊर्जा मंत्री की तरफ से भी कोई आदेश व आश्वासन नहीं दिया गया है। बता दें कि 2017 में टीमेट की 1200 पदों पर भर्ती हुई, उसमें भी करुणामूलक आश्रितों को कोटा नहीं दिया गया था। अभी जो 2021 में 1892 पदों पर टीमेट और जूनियर ऑफिस असिस्टेंट की 425 पदों की भर्ती चली हुई है।
करुणामूलक आश्रितों को इसमें भी कोटा नहीं दिया जा रहा हैं। एक तरफ सरकार कहती है कि करुणामूलक आश्रितों को कोटे का प्रावधान किया गया है, दूसरी तरफ बिजली बोर्ड करूणामूलकों को कोई कोटा नहीं दे रहा। सरकार कब तक करुणामूलक आश्रितों के साथ अन्याय करती रहेगी।
बता दें कि करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने के मामलों में सरकार के पास विभिन्न विभागों व बोर्डों व निगमों में करुणामूलक के लंबित करीब 4500 मामले पहुंचे हैं और प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।
कई विभागों में कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार की महिला ने बच्चे छोटे होने के कारण नौकरी नहीं ली थी जब बच्चे नौकरी योग्य हुए तो उन्हें नौकरी के लिए अब धक्के खाने पड़ रहे है।
Himachal Compassionate dependents
हिमाचल करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि आने वाले बजट में करुणामूलक आश्रितों को वन टाइक सेंटलमेंट देकर नियुक्तियां प्रदान करें।
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