हिमाचल प्रदेश का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है। यहाँ से मानव की प्रारम्भिक गतिविधियों का पता मिलता है। अपनी प्रारम्भिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य जिन उपकरणों को उपयोग में लाता है उन्हीं के आधार पर उस युग के प्रथम इतिहास की रूपरेखा बाँधी जाती है। अतः भारत के इस पहाड़ी प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना मानव अस्तित्व का अपना इतिहास | इस बात की सत्यता इस प्रदेश में प्राप्त प्राचीन उपकरणों, औजारों एवं अन्य प्रमाणों से सिद्ध होती है।

हालाँकि इस राज्य के इतिहास लेखन में सबसे बड़ी कमी यहाँ पर इतिहास से सम्बन्धित सामग्री का अभाव है। राज्य में किसी भी काल का क्रमबद्ध और पूर्ण विवरण उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में उपलब्ध आधार संस्कृत साहित्य, यात्रा विवरण, प्राचीन काल के सिक्के, अभिलेख तथा वंशावलियाँ प्रमुख हैं। इन सब तथ्यों को सामने रखकर एक वैज्ञानिक ढंग से इतिहास की रचना करने का प्रयास किया गया है।
यात्रा वृत्तांत ( travelogue)

हिमाचल प्रदेश के इतिहास के अध्ययन में इतिहासकारों तथा विद्वानों द्वारा की गई यात्राओं का क्रमबद्ध विवरण भी सहायक सिद्ध हुआ है। हिमाचल का सबसे पुरातन विवरण टॉलेमी का है। भारत की भौगोलिक अवस्था पर टॉलेमी द्वारा लिखा ग्रन्थ ईसा की दूसरी शताब्दी का है। इस ग्रन्थ में कुलिंदों का भी वर्णन मिलता है।
हिमाचल का इतिहास | important Himachal History | साहित्य
चीनी यात्री ह्वेनसाँग हर्षवर्धन के समय 630 ईसवी में भारत भ्रमण पर आया। उसने पन्द्रह वर्षों तक भारत में रहकर लेखन व अध्ययन कार्य किया। उसने अपने विवरणों में हिमाचल के त्रिगर्त, कुल्लू आदि जनपदों का वर्णन किया है। महमूद गजनवी के दरबार के प्रसिद्ध विद्वान अलबरूनी ने भी इन पहाड़ी राज्यों का विस्तृत वर्णन किया है। मुगल काल के राजाओं, मुगल सम्राटों और अनेक विद्वानों ने भी काफी कुछ इस प्रदेश पर लिखा है, जो यहाँ के इतिहास अध्ययन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अंग्रेजी विद्वान विलियम फिंच, थॉमस कोरयाट, वार्नियर, जॉर्ज फारिस्टर, जेम्स वैली फ्रेंजर, अलेक्जेण्डर जेरार्ड, विलियम मूरक्राफ्ट (1820 से 1822), जीटी विनेवेरन, मेजर आर्चर (1829) ने समय-समय पर इस पर्वतीय क्षेत्र की यात्रा की तथा इस क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक दशा के बारे में अपने यात्रा विवरणों में चर्चा की है।


