HP High Court: Relaxation in two educational qualifications in batch wise recruitment
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शारीरिक शिक्षकों के बैचवाइज पदों को भरने के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट देने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने उन शारीरिक शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता में छूट देने को कहा है, जो नियमों के अनुसार योग्यता नहीं रखते हैं। अदालत ने इस पर विचार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

अदालत ने पाया कि प्रदेश में शारीरिक शिक्षकों के 870 पद खाली हैं। बैचवाइज आधार पर इन पदों को भरने के लिए सरकार शैक्षणिक योग्यता में छूट दे सकती है। वर्ष 2011 में सरकार ने शारीरिक शिक्षकों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियम बनाए थे।इनके तहत 12वीं कक्षा में 50 फीसदी अंकों के साथ शारीरिक शिक्षा में दो वर्ष का डिप्लोमा होना अनिवार्य है। 15 फरवरी, 2011 को सरकार ने अधिसूचना जारी कर शैक्षणिक योग्यता में सशर्त छूट देने का निर्णय लिया था।

शर्त रखी थी कि शारीरिक शिक्षकों को पांच वर्ष की अवधि में अनिवार्य योग्यता हासिल करनी होगी। इस अधिसूचना के तहत कई अभ्यर्थियों को शैक्षणिक योग्यता में छूट दी गई, जबकि याचिकाकर्ताओं को शैक्षणिक योग्यता में छूट देने से इनकार कर दिया गया था। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि जब राज्य सरकार ने स्वयं शैक्षणिक योग्यता में छूट देने का निर्णय लिया है तो इस स्थिति में याचिकाकर्ताओं से भेदभाव करना संविधान के विपरीत है।
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वहीं, प्रदेश उच्च न्यायालय में अवैध भवनों के नियमितीकरण को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई चार अगस्त के लिए टल गई है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्घ किया गया। याचिकाकर्ता हिमांशु जिस्टू ने नगर नियोजन नियमों में किए गए संशोधन को चुनौती दी है।

आरोप लगाया है कि यह संशोधन सर्वोच्च न्यायालय और प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से समय – समय पर पारित निर्णयों के विपरीत है। याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग नियम, 2014 के नियम 35 को रद्द करने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि अवैध निर्माण को नियमित न किया जाए। इस संशोधन के बाद अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री के पास आवेदन आए हैं।
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