औरंगजेब के शासनकाल में काँगड़ा किले के मुगल किलेदार सैयद हुसैन खान, हसन अब्दुल्ला खान और नवाब सैयद खलीलुल्ला खान थे। औरंगजेब का समकालीन सिरमौर का राजा सुभग प्रकाश था। 1678 ई. में औरंगजेब ने चम्बा के सारे मन्दिरों को गिराने का आदेश जारी किया।
चम्बा के राजा चतर सिंह ने मुगल शासक के हुक्म को मानने से इनकार कर दिया और आज्ञा दी कि मुगलशाही आज्ञा की अवमानना के प्रतीक स्वरूप प्रत्येक मन्दिर पर सोने से मढ़ी बुर्जी बनाई जाए। उसने गुलेर बसौली और जम्मू के राजाओं के साथ मिलकर पंजाब के मुगल सरदार मिर्जा रियाज बेग को पराजित किया और अपने क्षेत्रों को वापस प्राप्त किया।

काँगड़ा और चम्बा के राजा अकबर के समय से ही मुगलों के करदाता थे। चम्बा के शासकों के साथ मुगलों ने उदारता का व्यवहार किया। इन राजाओं को नियमित रूप से नजराना भेंट करके मुगलों के प्रति अपनी स्वामिभक्ति प्रकट करनी पड़ती थी।
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