नवाब अलीखान (nawab ali khan)
(काँगड़ा किले का पहला मुगल किलेदार) के नेतृत्व में काँगड़ा किले पर मुगलों का कब्जा हुआ जोकि 1783 ई. तक रहा। जहाँगीर 1622 ई. में घमेरी (नूरपुर ) आया तथा अपनी पत्नी नूरजहाँ के नाम पर धमेरी का नाम ‘नूरपुर’ रखा । काँगड़ा किले के एक दरवाजे का नाम ‘जहाँगीरी दरवाजा’ रखा गया। जहाँगीर ने काँगड़ा किले के अन्दर एक मस्जिद का निर्माण करवाया।

जहाँगीर के समय में ही चम्बा के राजा जनार्धन और जगत सिंह के बीच ‘धलोग का युद्ध हुआ जिसमें जगत सिंह विजयी हुआ। 1623 ई. से लेकर दो दशक तक चम्बा पर जगत सिंह का कब्जा रहा। जगत सिंह मुगलों का वफादार था। सिरमौर का राजा बुद्धिप्रकाश ( 1605-1615 ई.) जहाँगीर का समकालीन था ।
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काँगड़ा किले का पहला मुगल किलेदार, नवाब अलीखान (nawab ali khan)
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