हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह उत्कृष्ट खिलाड़ियों को टेट में न्यूनतम अंकों में उपयुक्त छूट देने पर विचार करे। कोर्ट सरकार को इस बाबत 31 जनवरी तक फैसला लेने के आदेश दिए हैं।न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने पूजा शर्मा की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश दिए।

कोर्ट ने जीवन में खेलों के महत्व को बताते हुए कहा कि खिलाड़ियों को अपने बहुमूल्य समय का अधिकतर हिस्सा बंद कमरों में किताबों के साथ कि बजाय खेल के मैदानों में बिताना पड़ता है। इसलिए वे खुद में एक अलग श्रेणी के तहत लाभ लेने के पात्र हैं।
सरकारों की ओर से इन्हें नौकरी के लिए तीन फीसदी आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है। खेल सभ्य, स्वस्थ और अनुशासित समाज के लिए अति महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने फैसले में खेलो इंडिया, फिट इंडिया जैसे प्रोग्राम का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री की ओर से हाल ही में कहे गए नारे फिटनेस की डोज, आधा घंटा रोज का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्होंने भी सभी नागरिकों से फिटनेस और शारीरिक गतिविधियों को आजकल की महामारी के समय बड़ी गंभीरता से लेने का आग्रह किया है।
मामले के अनुसार प्रार्थी ने जेबीटी अध्यापक के पद पर तीन फीसदी खेल कोटे में कंसीडर किये जाने की गुहार लगाई थी। जब प्रार्थी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था तो उसके टेट में न्यूनतम अंक नही थे लेकिन याचिका के लंबित रहते उसने टेट में न्यूनतम अंक हासिल कर लिए थे।

प्रार्थी के अनुसार उसने तीन बार राष्ट्रीय खेलों में महिला हैंडबाल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बावजूद उसे जेबीटी अध्यापक के पद के लिए 3 फीसदी खेल कोटे में कंसीडर नहीं किया गया। कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए उसे जेबीटी अध्यापक के लिए 1 अप्रैल 2015 से कंसीडर करने के आदेश दिए।
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